भानगढ़ का किला | Bhangarh Fort Rajasthan | Bhangarh Fort Story in Hindi | भानगढ़ का इतिहास | Bhangarh Ka Kila
Bhangarh Ka Kila – भारत में घूमने के लिए बहुत आकर्षक जगह है। जिसके लिए देश विदेशों से बहुत से पर्यटक भारत घूमने के लिए हर साल आते हैं। भारत आज भी बहुत सी ऐतिहासिक धरोहर हो संभाले हुए हैं। जिनमें से महल पुराने किले शामिल है। क्योंकि भारत पुराने समय से राजा महाराजाओं का देश का है। जो की अपने ऐसो आराम और निवास के लिए आलीशान महल या किले बनाते थे। और यह बहुत बड़े होते थे।
राजा महाराजाओं के महलों और किलो में बहुत प्रसिद्ध कलाकारी होती थी। लेकिन राजाओं और महाराजा कि भारत वर्ष में से रियासतें टूटने के बाद बहुत से महल और किले धीरे धीरे खंडवा में तब्दील हो गए हैं। जो समय के साथ विरांता की गोद में समा गए है। इन सब में से जो सबसे प्रसिद्ध किला आज आज खंडहर बन चुका है। जिसका नाम है. ”भानगढ़ का किला” जिसके बारे में बहुत समय से अलग-अलग बातें सुनने को मिलती हैं। जो एक रहस्य का सबब बनी हुई है।
Table of Contents
भानगढ़ का किला – Bhangarh Fort Story In Hindi
यह भानगढ़ का किला राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। यह किला देश विदेश में बहुत प्रसिद्ध है। जिसको भूतों का महल भी कहा जाता है। इसके लिए को आमेर राज्य के राजा भगवंत दास ने 1583 ईस्वी में निर्मित कराया था। भगवान दास के छोटे बेटे मानसिंह के भाई माधो सिंह ने जिसको अपनी रिहाइश बनाया था। माधो सिंह के 3 पुत्र थे। सबसे बड़े का नाम सुजान सिंह, उससे छोटे का नाम छत्तर सिंह और सबसे छोटे का तेज सिंह था।
माधो सिंह के बाद उसके बीच के पुत्र छत्र सिंह ने भानगढ़ का सिहासन संभाला। उसके बाद छत्तर सिंह के पुत्र अजब सिंह मैं अपने नाम पर अजबगढ़ राजा को बसाया। कुछ समय पश्चात माधव सिंह के वंश औरंगजेब के शासनकाल में मुसलमान तब्दील हो गए थे। और उन्हें भानगढ़ राज्य दे दिया गया था। मुगलों के कमजोर होने पर जयसिंह राजा ने इन्हें मार कर भानगढ़ पर कब्जा हथिया लिया था। इस किले में सुरक्षा और रखरखाव भारत सरकार की पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को दी गई है।
किले के अंदर भगवान शिव और गणेश और हनुमान जी के प्राचीन मंदिर भी बने हुए हैं। इस किले में किसी भी आक्रमण को रोकने के लिए किले के चारों तरफ बहुत मजबूत और ऊंची दीवार बनाई हुई थी। किले के निर्माण में बहुत मजबूत पत्थर का उपयोग किया गया है। किले में जाने के लिए मुख्य 5 रास्ते हैं। यह किला अधिकांश रूप से खंडहर हो चुका है। प्रमुख रास्ते से किले में जाने पर हवेलिया मंदिर और महल दिखाई देते हैं। किले के अंदर हिंदू देवी देवताओं को पूजने के लिए मंदिर बने जैसे सोमेश्वर मंदिर, मंगला देवी माता का मंदिर, हनुमान जी का मंदिर, गणेश जी का मंदिर तथा गोपीनाथ मंदिर।
Bhangarh Fort Story In Hindi – भानगढ़ का इतिहास
यह भानगढ़ का किला (Bhangarh Ka Kila) एक प्रसिद्ध अच्छी कलाकारी का नमूना है। जो कि चारों तरफ से मजबूत चारदीवारी से घिरा हुआ है। जिसके अंदर जाते हैं। एक से एक हवेलियां दिखाई देते हैं। किले के आखरी छोड़ पर तीन मंजिला महल दिखाई देता है। जिसकी सबसे ऊपर की मंजिल आज धवस्त होकर खंडहर बन चुकी है।
भानगढ़ का किला पहाड़ियों के बीच स्थित है। जिसके चारों तरफ पहाड़ियों हैं। भानगढ़ पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बहुत समय से रहा है। वर्षा ऋतु ने भानगढ़ किले की सुंदरता और भी दुगनी हो जाती है। भानगढ़ को भारत में स्थित ब्राउज़र गांव में से एक माना जाता है।
खबरों की माने तो जोकि स्थानीय लोग बताते हैं। कि इस किले में आज भी भूत रहते हैं। जोकि सूरज निकलने से पहले और सूरज ढलने के बाद सक्रिय हो जाते हैं। इसकी लेने प्रशासन की तरफ से रात में रुकने की इजाजत किसी भी पर्यटक को नहीं है। इस किले के बारे में स्थानीय लोगों ने यह भी बताया है।
किस किले में रात को घुंघरू की आवाज चीखने की आवाज और संगीत आदि की आवाज सुनने को मिलती है। किस किले में स्थानीय लोगों के द्वारा यह भी बताया जाता है। कि जो भी इंसान इस किले में रात को गया। वह सुबह वापस नहीं आया। इन बातों में कितनी सच्चाई है। यह तो वही बता सकता है।जिसने इस डरावने मंजर को महसूस किया हो।
भानगढ़ किले की भूतिया कहानिया – Bhangarh Fort Ghost Stories In Hindi
इस किले के बारे में लोगों का यह कहना है। कि बहुत पुराने समय में भानगढ़ किला किसी योगी के श्राप से शापित है। बात उस वक्त की है। जब वहां के राजा ने इस किले का निर्माण करना था। तब वहां एक तपस्वी बालू नाथ तपस्वी का तप्त स्थल था। जिस स्थान पर बालू नाथ योगी तपस्या करते थे। राजा ने वहां पर अपना किले का निर्माण करने की इजाजत बालू नाथ तपस्वी से मांगी। तपस्वी ने एक शर्त पर भानगढ़ के किले के निर्माण करने की इजाजत दी।
बालूनाथ योगी ने कहा, कि किले की परछाई कभी भी मेरे तपस्या स्थल के ऊपर नहीं पढ़नी चाहिए। लेकिन और माधव सिंह के वंशजो इस बात को नजरअंदाज कर दिया और किले का निर्माण ऊंचाई तक करते चले गए। जिसके बाद एक दिन किले की परछाई बालू नाथ योगी के तपस्या स्थल पर पड़ गई।जिससे कि बालू नाथ योगी ने क्रोध में आकर श्राप दे डाला। उन्होंने कहा, कि भानगढ़ में कोई भी सुख से बस नहीं सकेगा। और मेरे श्राप से भानगढ़ उजड़ जाएगा। बालू नाथ योगी जी की समाधि आज भी इस किले में स्थित है।
भानगढ़ किले की भूतिया कहानिया – Bhangarh Fort Ghost Stories In Hindi
भानगढ़ के किले के बारे में दूसरी कहानी यह है। भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती अति सुंदर थी। जैसे ही राजकुमारी जवान हुई। उसके विवाह की बातें पूरे राज्य में चढ़ने लगी उसी बीच उसी राज्य के एक तांत्रिक की नजर राजकुमारी पर पड़ी। जिसको देखकर वह तांत्रिक और राजकुमारी पर मंत्रमुग्ध हो गया। अब तांत्रिक राजकुमारी को किसी भी हालात में हासिल करना चाहता था।
लेकिन वह इस प्रस्ताव को सीधे राजकुमारी के सामने पेश नहीं कर सकता था। तांत्रिक ने राजकुमारी को वश में करने के लिए अपने काले जादू के तंत्र का सहारा लेना मुनासिब समझा। कुछ समय बाद राजकुमारी के सिंगार के लिए उसकी दासी बाजार से इत्र अन्य समान लेने के लिए गई। तांत्रिक ने उसे इत्र खरीदते हुए देख लिया और किसी तरह से अपना सम्मोहन का काला जादू इत्र दासी को दिया। जिससे कि राजकुमारी उसकी तरफ आकर्षित होकर उसकी बन सके।
Ghost Story Of Bhangarh Fort In Hindi
लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था। राजकुमारी जब इत्र और दूसरे प्रसाधन समान को लेकर महल के ऊपरी मंजिल पर गई। तो राजकुमारी के हाथ से इत्र की शीशी नीचे चट्टान पर गिर गई। अब उस इत्र में आकर्षित होने का तंत्र था। जैसे ही इत्र चट्टान पर गिरा, चट्टान तांत्रिक की तरफ चलने लगी और उस चट्टान ने तांत्रिक को दबाकर मार दिया। मरते वक्त तांत्रिक ने उस राज्य और उस राजकुमारी और पुरे भानगढ़ को बर्बाद होने का श्राप दे दिया। जोकि कुछ समय बाद सच हो गया।
और भानगढ़ किले के बारे में वहां के स्थानीय लोग यह कहानी भी बताते हैं। की भानगढ़ किला बनने के बाद उसकी लोगों एक चुड़ैल का साया होने लगा था। और वह चुड़ैल राजकुमारी जी सुंदरता से परेशान थी। उस चुड़ैल ने राजकुमारी पर काला जादू किया। लेकिन वो जादू उल्टा और चुड़ैल पर हावी हो गया। जिससे आज भी उस चुड़ैल का साया उस किले में भटकता है। जो की लोगों को परेशान करता है।
भानगढ़ किला रात के समय – Bhangarh Fort At Night
भारत सरकार की पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने (Bhangarh Ka Kila) भानगढ़ किले में रात के समय जाने पर पूर्ण रोक लगा रखी है। लेकिन इस चेतावनी के बावजूद भी बहुत से लोगों ने इस किले में रात बिताने की कोशिश की है। लेकिन लोगों ने यहां नकारात्मक ऊर्जा और अन्य प्रकार के साए को महसूस किया है। लेकिन स्थानीय निवासियों को इस किले पर भूतिया होने का अत्यंत गहरा विश्वास है। स्थानीय निवासियों की माने तो वह बताते हैं।
कि इस किले में रात के समय भूतों का फिरका होता है। जोकि सूरज ढलने के बाद सक्रिय हो जाता है। और यह काफिला इस किले के अंदर किसी भी इंसान को दाखिल होने से बहुत क्रोधित होता है। और उन को डराने की कोशिश करता है। लेकिन यह सब वहां की स्थानीय लोगों की पौराणिक बातें हैं। जो कि इतिहास से सुनने में आती है। लेकिन अभी तक कोई पुख्ता सबूत नहीं है।
Bhangarh Fort Story In Hindi
भानगढ़ किले में वहां की स्थानीय सरकार की तरफ से भी रात को रुकने की अनुमति नहीं है। जो भी पर्यटक उस किले मैं घूमने के लिए जाता है। तो वह अपने साथ होने वाली घटना को खुद जिम्मेदार होगा। वहां के एएसआई ने सख्त हिदायत दे रखी है। कि सूरज ढलने के बाद उस किले के आसपास या उसकी लेने कोई भी व्यक्ति ना रुके। लोगों का ऐसा भी मानना है। कि जिस व्यक्ति ने यह जाने की रात में कोशिश की है। सुबह वह वापस नहीं आया।
और(Bhangarh Ka Kila) भानगढ़ किले के बारे में कुछ न्यूज़ चैनल और उनके साथ पैरानॉर्मल एक्सपर्ट इस किले की सच्चाई को खंगालने के लिए गए। लेकिन उनको कोई पुख्ता सुबूत नहीं हासिल हुआ। जिससे कि वह इन घटनाओं के बारे में सटीकता से बता सकें। लेकिन पैरानॉर्मल एक्सपर्ट इलेक्ट्रॉनिक मीटर जिसको वह किसी भी ना रात में उर्जा को नापने के लिए यूज करते हैं।
जब पैरानॉर्मल एक्सपर्ट ने उसकी किले की अलग-अलग जगहों पर अपना यंत्र स्थापित किया और वहां पर आवाज दी। कि यहां पर कोई है। तब उस मीटर की रीडिंग में उछाल आया। इस संदर्भ में हम कह सकते हैं। कि इस किले में कुछ तो है। जो आज तक दुनिया के लिए एक रहस्य की पहेली बनी हुई है।
भानगढ़ किले को देखने का समय – best time for visit to bhangarh fort
यह भानगढ़ का किला राजस्थान में स्थित है। और राजस्थान में अप्रैल से लेकर जुलाई तक अत्याधिक गर्मी पड़ती है। लेकिन जब वर्षा ऋतु होती है। तब वहां का वातावरण अनुकूल हो जाता है। इसलिए आप बारिश के मौसम के बाद भानगढ़ के किले नहीं जा सकते हैं। जोकि सितंबर से लेकर मार्च तक का समय होता है।
और भानगढ़ किले को देखने का समय सुबह से लेकर शाम के 6:00 बजे तक तय किया गया है। शाम के 6:00 बजे के बाद वहां के सरकारी आदेश अनुसार पर्यटक को हर हालत में किले से बाहर आना होता है। और शाम के 6:00 बजे के बाद किसी भी पर्यटक किया स्थानीय लोगों का इसके लिए में प्रवेश पूरी तरह से बंद है।
भानगढ़ किले का रास्ता
भानगढ़ किले में पहुंचने के लिए यदि आप हवाई जहाज सफर से आना चाहते हैं। तो भानगढ़ के सबसे नजदीक जयपुर हवाई जहाज अड्डा पड़ेगा। जिससे जयपुर से भानगढ़ की दूरी 90 किलोमीटर है। वहां पर आप बस या टैक्सी से पहुंच सकते हैं।
अगर आप भानगढ़ में रेल यात्रा के जरिए आना चाहते हैं। और (Bhangarh Ka Kila) भानगढ़ के किले को देखना चाहते हैं। तो भानगढ़ के नजदीक रेलवे स्टेशन दोसा रेलवे स्टेशन है। जिससे भानगढ़ की दूरी मात्र 20 किलोमीटर है। वहां भी आप किसी टैक्सी या कैब को किराए पर करके बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं। और जयपुर रेलवे स्टेशन से भानगढ़ की दूरी 80 किलोमीटर है। अगर आप भानगढ़ किले में अपने साधन से सड़क यात्रा से आना चाहते हैं। तब भी आप बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं।
Calculation
अंत में दोस्तों आपने (भानगढ़ का किला) के रहस्य के बारे में जाना है। यह लेख सिर्फ एक सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है। जोकि समाचार पत्रों इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त की गई है। यह लेख किसी भी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है। और किसी भी तरह के इस किले के बारे में तथ्य की पुष्टि नहीं करता है। भानगढ़ किले में जाने से पहले अपने स्तर पर अच्छी जांच पड़ताल कर ले।